हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के तीन दिन पूर्व और तीन दिन बाद संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है। अतः इस वर्ष यह संस्कृत सप्ताह 19 से 25 अगस्त तक रहेगा। यह संस्कृत संस्थानों और संगठनों का एक अत्यन्त सामान्य कार्यक्रम हो गया है। निःसंदेह उनको संस्कृत का उत्सव मनाना हैं और उसका प्रचार-प्रसार करना हैं। लेकिन क्या यह केवल संस्कृत संस्थाओं का कार्यक्रम होना चाहिए? क्या संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की जिम्मेदारी दूसरों पर भी नहीं है? संस्कृत सभी की है और सभी को संस्कृत सीखना या संस्कृत के लिये कार्य करना आवश्यक है। वह समुदाय जो अपनी संस्कृति की भाषा, प्रेरणा के स्रोत और एकता के बंधन को त्याग देता है, वह पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो सकता है। अपने अतीत की कड़ी को खोना सभ्यता की स्मृति और अमूल्य विरासत को खोने जैसा है।
हालाँकि मैं हर साल संस्कृत सप्ताह के बारे में संस्कृत भाषा में लिखता हूँ और संस्कृत के विद्वानों और छात्रों से निवेदन करता हूँ, परन्तु इस साल मैंने निश्चित किया है कि मैं उनसे निवेदन नहीं करुँगा बल्कि उन सभी लोगों से निवेदन करता हूँ जो संस्कृत से प्रेम करते हैं, जो संस्कृत का सम्मान करते हैं और उन सभी से जो संस्कृत को अपनी महान् विरासत समझते हैं, क्योंकि संस्कृत के संवर्धन की जिम्मेदारी उन सभी पर है। इसलिए, मैं यह लेख अंग्रेजी/भारतीय भाषाओं में लिख रहा हूं, न कि संस्कृत में।
यदि आप वास्तव में संस्कृत से प्रेम करते हैं, आप जिस किसी संस्था या संगठन में कार्य कर रहे हैं या उससे जुड़े हैं, तो उनसे इस संस्कृत सप्ताह में संस्कृत के लिए कुछ करने का अनुरोध करें। अपने संपर्कों और परिचितों में से प्रत्येक से अनुरोध करें कि वे संस्कृत के लिए हर संभव प्रकार से सहायता करें। आप अनुरोध कर सकते हैं - 1) संस्कृत सीखना आरम्भ करने के लिए 2) किसी भी संस्कृत शिक्षण गतिविधि / प्रचार / गुरुकुल / वेद पाठशाला / परियोजना आदि हेतु उदारतापूर्वक दान करने के लिए 3) स्वयंसेवक बनने के लिए 4) पढ़ाने / संचालित करने हेतु समय देने के लिए 5) संस्कृत हेतु उसकी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए ।
संस्कृत सप्ताह समारोह को अधिक एकलक्ष्य केंद्रित बनाने से अधिक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए, संस्कृत ज्ञान प्रणाली को लोकप्रिय बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) २०२० कहता है (अनुच्छेद ४.१७ में) भारत की प्राचीन भाषा और साहित्य के महत्व, प्रासंगिकता और सौंदर्य को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। जबकि संस्कृत भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में एक महत्वपूर्ण आधुनिक भाषा के रूप में वर्णित है, जिसमें लैटिन और ग्रीक भाषा में उपलब्ध कुल साहित्य की तुलना में प्राचीन साहित्य अधिक है, जिसमें गणित, दर्शन, व्याकरण, संगीत, राजनीति, चिकित्सा, वास्तुकला, धातु विज्ञान, नाटक, कविता, कहानी, और बहुत कुछ (संस्कृत ज्ञान प्रणाली के रूप में जाना जाता है) विशाल निधि के रूप में उपलब्ध हैं, जो कि विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ-साथ गैर-धार्मिक लोगों द्वारा और हजारों वर्षों में सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के सभी क्षेत्रों के लोगों के द्वारा व्यापक रूप से लिखा गया है। इस प्रकार संस्कृत को विद्यालयीय और उच्च शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण, समृद्ध विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जायेगा, इसके साथ त्रि-भाषा सूत्र में एक विकल्प के रूप में भी है। इसे ऐसी विधि से पढ़ाया जाएगा जो रुचिकर और अनुभवात्मक होने के साथ-साथ समकालीन रूप से प्रासंगिक हैं, जिसमें संस्कृत ज्ञान प्रणाली का उपयोग और विशेष रूप से ध्वन्यात्मक और उच्चारण के माध्यम सम्मिलित हैं। संस्कृत माध्यम से संस्कृत पढ़ाने (एसटीएस) और इसके अध्ययन को वास्तव में सुखद बनाने के लिए प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय स्तर पर संस्कृत की पाठ्यपुस्तकें सरल मानक संस्कृत (एसएसएस) में लिखी जा सकती हैं। इसलिए संस्कृत को दर्शाने का एक माध्यम इस संस्कृत सप्ताह में संस्कृत ज्ञान प्रणाली (एसकेएस) को लोकप्रिय बनाना है। सात दिन तक प्रतिदिन संस्कृत ज्ञान प्रणाली (एसकेएस) के एक बिन्दु पर प्रकाश डाला जा सकता है।
भारतीय ज्ञान प्रणाली को इंटरनेट पर ढूंढने से संस्कृत, तमिल, प्राकृत, पाली, आदि भाषाओं में पर्याप्त संख्या में वेबसाइट प्राप्त होती हैं। अपनी रुचि की कोई भी साइट एवं विषय का चयन करें और उन्हें अधिक से अधिक लोगों या अधिक से अधिक समूहों में साझा करें। यदि आप किसी व्याख्यान की व्यवस्था करने जा रहे हैं, तो आपको सात दिनों के लिए संस्कृत ज्ञान प्रणाली (एसकेएस) के सात विषयों पर सात वक्ता सरलता से प्राप्त हो जायेंगे।
हम इस बार संस्कृत सप्ताह समारोह को कुछ भिन्न प्रकार से क्यों नहीं मनाते? इस संबंध में अपने विचार सोशल मीडिया पर साझा करें। आइयें हम अधिक से अधिक लोगों एवं अधिक से अधिक संस्थानों तक पहुँचें। संस्कृत शिक्षकों और संस्कृत छात्रों का संस्कृत विश्वविद्यालयों और संस्कृत महाविद्यालयों के परिसरों में संस्कृत सप्ताह मनाने से उनके उत्साह में उन्नति होंगी। विद्यालयीय छात्रों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन भी आवश्यक है। आइयें हम संस्कृत को उससे भी आगे ले जायें। इस बार देश को संस्कृत ज्ञान प्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान करें। हजारों वर्षों से इस भूमि की ज्ञान प्रणाली का रथ, संस्कृत भाषा थी। शैक्षिक सुधारों के इस मोड़ पर संस्कृत ज्ञान प्रणाली को संस्कृत भाषा का रथ बनने दें!